प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है ऐसे में इस बीमारी से लड़ने के लिए राज्य सरकार ने राज्य में संचालित 12 डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल की सूची तैयार की है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इन अस्पतालों के सभी चिकित्सा अधीक्षकों को इलाज के लिए तत्काल व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं।
वही ब्लैक फंगस के संक्रमण को लेकर राज्य सरकार पर भी काफी दबाव में है। प्रदेश सरकार कोविड के इलाज के लिए पूरी तरह समर्पित 12 अस्पतालों में ब्लैक फंगस के रोगियों को इलाज देने का आदेश जारी किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के अुनसार देहरादून, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या 118 हो गई है। अभी तक प्रदेश में नौ मरीजों की मौत हुई है।अब तक केवल पांच लोग ही उपचार के बाद घर लौट सके हैं।
प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है ऐसे में इस बीमारी से लड़ने के लिए राज्य सरकार ने राज्य में संचालित 12 डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल की सूची तैयार की है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इन अस्पतालों के सभी चिकित्सा अधीक्षकों को इलाज के लिए तत्काल व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं।
वही ब्लैक फंगस के संक्रमण को लेकर राज्य सरकार पर भी काफी दबाव में है। प्रदेश सरकार कोविड के इलाज के लिए पूरी तरह समर्पित 12 अस्पतालों में ब्लैक फंगस के रोगियों को इलाज देने का आदेश जारी किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ अपडेट के अुनसार देहरादून, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या 118 हो गई है। अब तक प्रदेश में नौ मरीजों की मौत हुई है। केवल पांच लोग ही उपचार के बाद घर लौट सके हैं।
ब्लैक फंगस का इलाज तीन चरणों में पूरा होता है जिसके लिए पहले शुगर लेवल कंट्रोल और मरीज को एंटीफंगल दवा दी जाती है। पहले चरण में यह मुख्यत: डायबिटिज के मरीजों को हो रहा है। जिसे शुगर लेवल नियंत्रित करना जरूरी है। जिसे मेडिसिन विशेषज्ञ की देख रेख में किया जाता है। दूसरे चरण में एंटीफंगल दवा एमफोरटेरिसिन-बी तीन सप्ताह तक दी जाती है। गुर्दे पर प्रभाव न पड़े इसके लिए समय समय पर अस्पताल जाना जरूरी है। तीसरा चरण अति आवश्यक चरण ऑपरेशन है। मरीज के काले पड़े अंग को सर्जरी से निकाला जाता है। समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीज की मृत्यु संभावना बढ़ जाती है।।
ब्लैक फंगस का इलाज तीन चरणों में पूरा होता है जिसके लिए पहले शुगर लेवल कंट्रोल और मरीज को एंटीफंगल दवा दी जाती है। पहले चरण में यह मुख्यत: डायबिटिज के मरीजों को हो रहा है। जिसे शुगर लेवल नियंत्रित करना जरूरी है। जिसे मेडिसिन विशेषज्ञ की देख रेख में किया जाता है। दूसरे चरण में एंटीफंगल दवा एमफोरटेरिसिन-बी तीन सप्ताह तक दी जाती है। गुर्दे पर प्रभाव न पड़े इसके लिए समय समय पर अस्पताल जाना जरूरी है। तीसरा चरण अति आवश्यक चरण ऑपरेशन है। मरीज के काले पड़े अंग को सर्जरी से निकाला जाता है। समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीज की मृत्यु संभावना बढ़ जाती है।।