नैनीताल के ताकुला गांव में मशहूर बॉलीवुड कलाकार स्वर्गीय निर्मल पांडे के नाना जी ने गांधी जी को सुनाई थी रामायण…

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अपनी कुमाऊँ की यात्रा के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नैनीताल के ताकुला गांव भी रहे। वर्ष 1929 और फिर वर्ष 1931 में यहां रहने आए। यहाँ उनके द्वारा शिलान्यास किए गए भवन को अब गांधी मंदिर के नाम से जाना जाता है। हालांकि प्रचार-प्रसार कम होने के कारण इस मंदिर को उतनी पहचान नहीं मिल पाई। गांधी से जुड़ा यह भवन अब तक राष्ट्रीय धरोहर या स्मारक का दर्जा हासिल नहीं कर सका।

ताकुला में गांधीजी के प्रवास के दौरान एक और खास किस्सा जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में शायद कम ही लोग जानते होंगे। वरिष्ठ पत्रकार व लेखक प्रयाग पांडे ने अपनी किताब “तपोभूमि में गांधी जी” में इस बात का जिक्र किया है…

वह लिखते हैं कि जब गांधी जी दूसरी बार ताकुला में रहने आए थे, तो इस दौरान मशहूर बॉलीवुड कलाकार स्वर्गीय निर्मल पांडे के नाना स्वर्गीय जय दत्त पांडे ने गांधी जी को अपने साथियों के साथ राधेश्याम तर्ज शैली में रामायण सुनाई थी, जिसे गांधी जी ने काफी ध्यान से सुना था और उनकी टीम को शुभकामनाएं भी दी थीं। जयदत्त पांडे के साथ प्रसिद्ध लोक गायक रोहन सिंह रीठागाड़ी ने भी इस दौरान संगत दी थी।

निर्मल के छोटे भाई व नैनीताल निवासी वरिष्ठ रंगकर्मी मिथिलेश पांडे बताते हैं कि उनके नाना अल्मोड़ा बाड़ेछीना पलयू गांव के रहने वाले थे। वहां वह रामलीला की तालीम दिया करते थे। जब वह नैनीताल उनके घर आते थे तो रामलीला से जुड़े संवाद व चौपाइयां निर्मल और मिथिलेश को सुनाते थे। जिस कारण दोनों भाइयों का भी रामलीला मंचन से जुड़ाव हुआ। वह बताते हैं कि उनके नाना जी की मृत्यु भी तब हुई, जब वह पलयू से तालीम करा कर घर लौट रहे थे।

कुमाऊं प्रवास के दौरान दो बार ताकुला रहे गांधी जी

पहली बार साल 13 जून, 1929 को जब गांधी जी नैनीताल आए थे, तब उनके साथ कस्तूरबा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सुचिता कृपलानी और देवदास गांधी भी थे। 13 जून से लेकर 4 जुलाई तक वह कुमाऊं क्षेत्र में ही रहे। इस दौरान यहां उन्होंने ताकुला स्थित गांधी मंदिर की आधारशिला भी रखी थी। वहीं दूसरी बार 18 मई, 1931 को गांधी जी दूसरी बार नैनीताल आए थे। इस बार भी वह गांधी मंदिर में ही रहे और यहां रहकर समाज सेवा से जुड़े काम भी किए।

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