प्रतिबंधित दवाएं बेचने वाले मुख्य सप्लायर को भी पुलिस ने किया गिरफ्तार… कल दो सगे भाई पकड़े गए थे।

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देहरादून। प्रतिबंधित दवाओं का मुख्‍य सप्‍लायर को भी पुलिस ने दबोेच लिया है। इससे पहले पुलिस नशीली दवाओं को बेचने के आरोप में दो सगेे भाइयों को गिरफ्तार कर चुकी है।

पुलिस के अनुसार दोनों भाइयों ने पूछताछ में बताया कि ये दवाएं वे देहरादून निवासी इन्द्रप्रीत सिंह नाम के मेडिकल सप्लायर से खरीदते थे। इस पर पुलिस ने इन्द्रप्रीत सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया। इन्द्रप्रीत सिंह निवासी रेसकोर्स देहरादून ने पूछताछ में बताया कि उसकी सुपर मेडिकल सप्लायर के नाम से अजबपुर चौक के पास मेडिकल स्टोर है जिसे वह पिछले तीन वर्षों से संचालित कर रहा है। कृष्ण कुमार निवासी बल्लूपुर से उसकी मुलाकात करीब 06 माह पूर्व हुयी थी। उक्त कृष्ण कुमार द्वारा इन्द्रप्रीत को यह प्रलोभन दिया गया कि यदि वह उसे ट्रामाडौल कैप्सूल के 1000 डिब्बे (144000 कैप्सूल) की सप्लाई देगा तो वह वर्तमान में व आने वाले समय में अपनी मेडिकल स्टोर के लिये दवाईयां हमेशा उसी के स्टोर से खरीदेगा। चूंकि इन्द्रप्रीत सिंह द्वारा विभिन्न बैंको , फाईनेन्स कम्पनी तथा मार्केट से करीब 70 लाख रु0 का लोन लिया हुआ था । अतः उक्त लोन की किश्तों को चुकाने व मुनाफा कमाने के लिये इन्द्रप्रीत ने कृष्ण कुमार द्वारा दिये प्रलोभन को स्वीकार कर लिया। फरवरी माह में बद्दी हिमाचल प्रदेश की एनफार्मा मेडिकल कम्पनी को 01 हजार ट्रामाडौल कैप्सूल का आर्डर दिया , जिसपर कम्पनी द्वारा मात्रा अधिक होने पर करीब 02 माह बाद इन्द्रप्रीत सिंह को 800 डिब्बों का आर्डर दि0 05-05-2023 को देहरादून पहुंचाया गया जिसे इन्द्रप्रीत सिंह द्वारा दि0 05-05-2023 को ही 700 डिब्बे ट्रामाडौल के (100800 कैप्सूल) कृष्ण कुमार को सप्लाई कर दिये गये , जबकि नारकोटिक्स दवाओं के लाईसेन्स की शर्तों के अनुसार वह कृष्ण कुमार को 01 भी कैप्सूल नही दे सकता था।

क्यूंकि कृष्ण कुमार के पास नारकोटिक्स दवाओं को बेचने का लाईसेन्स नही था, लेकिन लालच में आकर नियम व शर्तों को दरकिनार करते हुये इन्द्रप्रीत सिंह द्वारा यह गैरकानूनी कार्य किया गया ।

इसके बाद जब बीती 7 मई को इन्द्रप्रीत को कृष्ण कुमार व उसके भाई विनय कुमार के ट्रामाडौल कैप्सूलों की बडी खेप के साथ पकडे जाने की जानकारी मिली तो आनन फानन में इन्द्रप्रीत द्वारा कृष्ण कुमार के नाम पर सप्लाई का फर्जी बिल बनाया गया , जिससे पुलिस व ड्रग विभाग को गुमराह किया जा सके।

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