दरकते ऐतिहासिक बैंड स्टैंड की मरम्मत के लिए नहीं मिला एक भी ठेकेदार…

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बैंड स्टैंड की भूधंसाव की रोकथाम के लिए सिंचाई विभाग की ओर से 76 लाख रुपये का प्रस्ताव किया गया है तैयार

नैनीताल। सरोवर नगरी में लोकप्रिय ऐतिहासिक बैंड स्टैंड के पास नैनी झील की सुरक्षा दीवार गिरे लम्बा समय हो गया है। अब इसकी रोकथाम के लिए शासन से 76 लाख की धनराशि भी स्वीकृत हो गई है। रोकथाम के लिए टेंडर प्रक्रिया के लिए एक भी आवेदन नहीं मिला। जिसके बाद विभाग द्वारा एक बार फिर से टेंडर खोलने की तैयारी की जा रही है।

मालूम हो कि पिछले वर्ष 3 सितंबर को बैंड स्टैंड की करीब 10 मीटर की सुरक्षा दीवार झील में समा गई। गनीमत रही कि इस दौरान कोई पर्यटक या स्थानीय लोग इसकी चपेट में नहीं आए। मालूम हो कि इससे पहले भी बैंड स्टैंड के पास भूधंसाव होने के कारण बीते वर्ष 28 जून को भी नगर पालिका ने तीन ओर से बेरिकेडिंग कर यहां लोगों की आवाजाही रोक दी गई थी।

बैंड स्टैंड के पास नैनी झील की सुरक्षा दीवार पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए सिंचाई विभाग ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजाथा जिसके लिए 76 लाख की धनराशि स्वीकृत भी हो गई, लेकिन बीते 17 मार्च को निकले टेंडर के लिए एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ।

खतरे में है झील की सुरक्षा दीवार

करीब तीन वर्षों से यहां करीब 60 मीटर के हिस्से पर दरार बनी हुई थी। धंसे हिस्से के आसपास दरारे बढ़ने से भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। सिंचाई विभाग यहां लंबे समय से तत्कालिक रोकथाम की योजना बना रहा है। सुरक्षा दीवार और रेलिंग भी झील की ओर झुक गई। साथ ही भूधंसाव भी बढ़ रहा है।

पर्यटन सीजन में बैंड स्टैंड बढ़ाता है रौनक

नैनीताल में गर्मियों के पर्यटन सीजन में हर वर्ष ऐतिहासिक बैंड स्टैंड पर पीएसी बैंड शाम के समय अपनी धुनों से इसे गुलजार करता है। बैंड की धुनों पर स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटक जमकर झूमते थे, लेकिन अब इस जगह को मरम्मत की दरकार है। सही समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिला तो बैंड स्टैंड की रौनक फीकी पड़ जाएगी।

ब्रिटिशकालीन है इतिहास, जिम कॉर्बेट ने 4 हजार की राशि से शुरू कराया था काम

शहर के मल्लीताल स्थित बैंड स्टैंड का इतिहास ब्रिटिशकालीन है। शहर के म्यूनसिपल कमिश्नर रहने के दौरान मशहूर शिकारी जिम कॉर्बेट द्वारा चार हजार की राशि देकर बैंडस्टैंड का कार्य करवाया गया। जिसमें ब्रिटिश काल से ही अंग्रेज बैंड धुन बजाया करते थे। पास में ही नाचघर भी हुआ करता था। आजादी के बाद करीब डेढ़ दशक तक इसमें बैंड वादन बंद रहा। मगर 60 के दशक में यहां फिर बैंड वादन शुरू किया गया। जो कि वर्षों तक चला। नेताजी शुभाष चंद्र बोस के करीबी रहे कैप्टन राम सिंह के नेतृत्व में पर्यटन सीजन के दौरान बैंड वादन की शुरुआत की गई। जो कि दो दशक से भी अधिक समय तक अपनी टीम के साथ यहाँ हर सीजन बैंड वादन के लिए आया करते थे।

कोट–
अधिशासी अभियंता सिंचाई एके वर्मा ने बताया कि बैण्ड स्टैंड के जीर्णोद्वार हेतु 76 लाख की धनराशि प्राप्त हुई है। 17 मार्च को टेंडर निकाले गए थे, लेकिन एक भी आवेदन नहीं मिला। जिसके बाद अप्रैल माह की शुरुआत में फिर से टेंडर निकाले जाएंगे।

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