केदारनाथ :- आपदा की आठवीं बरसी,वो दिन जब जलप्रलय ने केदारपुरी में मचाया तांडव,हज़ारों लोगो ने गवाईं जान

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केदारनाथ में आई प्रलयकारी आपदा को आज 8 साल (16 जून 2013) पूरे हो चुके हैं। इस प्रलयकारी आपदा ने पूरे केदारनाथ को बदल कर रख दिया था। इस आपदा के कारण हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई, लाखों लोगों का रोजगार छिन गया तो वहीं हजारों लोगों से उनका आशियाना ही छिन गया।आज से आठ साल पहले 16 जून 2013 के दिन कुदरत ने जमकर तांडव मचाया था, जिस मंजर को याद करते हुए आज भी रूह काँप उठती है।

केदारनाथ क्षेत्र में आइ जलप्रलय चार हजार से अधिक लोगों को निगल गई। वहीं इतने सालो बाद भी केदारपुरी क्षेत्र में पुनर्निर्माण के मरहम से आपदा के जख्म पूरे नहीं भर पाए हैं। आपदा में कितने लोगों की जान गई इसका भी सटीक आंकड़ा किसी के पास नहीं है, लेकिन हजारों लोगों की मरने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है। इस आपदा में भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी। केदारनाथ की प्रलयकारी आपदाके चश्मदीद आज भी उस पल को सोचकर डर जाते हैं।

केदारनाथ से आए भूचाल ने ऐसा तांडव मचाया कि लोगों के आशियाने तिनके की तरह उझड़ने लगे और हजारों लोग इस आपदा का शिकार हो गए। केदारनाथ आपदा में केदारघाटी के देवली-भणिग्राम, त्रियुगीनारायण, लमगौंडी के लोगों ने अपनो को खोया। इन गांवों में हर परिवार से एक से दो लोगों की जान इस आपदा के कारण गई थी। आपदा के बाद सरकार ने मदद तो की, लेकिन रोजगार को लेकर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए। प्राइवेट संस्थाओं की ओर से पीड़ितों के आंसू पोछने का काम किया गया, जो नाकाफी ही रहा।

राज्य सरकार की तरफ़ से आपदा में तबाह हुई केदारपुरी को संवारने की कोशिशें लगातार जारी हैं। कांग्रेस सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारपुरी में पुनर्निर्माण की शुरुआत की, जो मौजूदा भाजपा सरकार भी जारी है। केदारबाबा के भक्त देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी के चलते केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण के कार्यों ने रफ्तार पकड़ी हुई है। धाम क्षेत्र में पहले चरण के निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं और दूसरे चरण के कार्यों पर काम शुरू हो गया है ,

आपदा के बाद केदारनाथ में हेलीकॉप्टर हादसे भी हुए,

केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू करते हुए वायु सेना के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर समेत तीन हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए थे। इन दुर्घटनाओं में कुल 23 लोगों की मौत हुई। वहीं, केदारनाथ में हुई भारी तबाही के बाद 19 जून को केंद्र सरकार ने वायु सेना को वहां रेस्क्यू की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद नौ दिनों तक वायु सेना ने केदारनाथ धाम की पहाड़ियों पर रेस्क्यू कर हजारों लोगों की जान बचाई। इस दौरान वायु सेना को भारी नुकसान भी झेलना पड़ा था। जिसमें वायु सेना के जवानों से लेकर यात्रियों ने अपनी जान गंवाई।

केदारपुरी में आपदा से अब तक हुए काफी कुछ बदलाव

केदारनाथ धाम में गुफाओं का निर्माण और मंदिर से सरस्वती नदी तक पैदल मार्ग का चौड़ीकरण दोनों ही कार्य पूरे हो गये हैं। वहीं, वर्ष 2019 में केदारनाथ धाम की यात्रा ने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए। आपदा में तबाह हुए केदारनाथ धाम की तस्वीर और पुनर्निर्माण के बाद आज के केदारनाथ धाम में जमीन-आसमान का अंतर है। धाम में सभी तरह के निर्माण कार्य श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटी ट्रस्ट के माध्यम से हो रहे हैं। कुल मिलाकर केदारपुरी में पुनर्निर्माण के मरहम से आपदा के जख्मों को मिटाने की कोशिशें लगातार जारी हैं।

बड़ी बात यह है कि धाम में तो निर्माण कार्यों में तेज़ी नज़र आ रही है। लेकिन 2013 आपदा की शिकार केदारघाटी में राहत और पुनर्निर्माण कार्यों की रफ्तार में वैसी तेजी नज़र नहीं आ रही। दिलो में बैठे जलप्रलय के डर ने केदारघाटी के कई परिवारों को मैदानों इलाक़ों में पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। वहीं जो लोग आज भी यहाँ पर निवास कर रहे है। उनके मन में आपदा के जख्म अब भी हरे हैं। आज भी जब आसमान से बादल बरसते हैं तो खौफनाक यादों के रूप में त्रासदी के जख्म हरे हो जाते हैं।

आपदा के बाद कुछ इस तरह सामने आये सरकारी आकड़े

  • – केदारनाथ जलप्रलय में 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए।
  • – 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया।
  • – 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए।
  • – 90 हजार यात्रियों को यात्रा मार्गों से सेना ने निकाला।
  • – 30 हजार स्थानीय लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
  • – 09 राष्ट्रीय व 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए।
  • – 2385 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा।
  • – 86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए।
  • – जलप्रलय में 1309 हेक्टेयर कृषि भूमि बह गई ।
  • – सेना व अर्द्ध सैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया।
  • – 55 नरकंकाल सर्च ऑपरेशन में खोजे गए।
  • – 991 स्थानीय लोग अलग अलग जगहों पर मारे गए।
  • -11,000 से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए।
  • – 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई।
  • – 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया।