जंगल नहीं बचाए तो हर बारिश होगी खौफनाक, अवैध निर्माण, जंगलों के अंधाधुंध कटान से गड़बड़ाया कुदरत का सिस्टम…

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उत्तराखंड में हर साल अनियमित और बेमौसमी बारिश से जहां लोगों में खौफ है वहीं अब पर्यावरणविद भी चिंतित हैं। हर साल बारिश के दौरान हो रहे भूस्खलन और बाढ़ आने वाले समय के लिए भी एक चेतावनी है। अगर समय रहते इस पर मानव ने पर्यावरण को बचाने के लिए सही ढंग से कार्य नहीं किया तो कुछ सालों में जनहानि और अन्य नुकसान का ग्राफ निश्चित ही बढ़ जाएगा।

प्रख्यात पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने आज की मानव जीवनशैली पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विकास की अंधाधुंध दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों गलत तरीके से इस्तेमाल स्थिति को और भी भयावह बना रहा है। इसके चलते कभी भी मानवीय त्रासदी आ सकती है। मानव आज चाहकर भी पीछे नहीं जा सकता है क्योंकि आवश्यताएं काफी हद तक बढ़ गई हैं, लेकिन विकास और पारिस्थितिक में संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

विकसित करना होगा निवारक तंत्र

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पद्म श्री डॉ. जोशी ने कहा कि एक निवारक तंत्र विकसित करना होगा। इसके साथ ही वर्षा जल संरक्षण, जल पुनर्भरण तंत्र स्थापित करना होगा। नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को दूसरे स्थानों पर भेजना होगा। इनमें से खासकर नदी के 100 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को। जोशी ने पिछले साल अक्टूबर में आई आपदा का जिक्र करते हुए कहा कि नैनीताल जिले में सबसे ज्यादा जनहानि हुई थी। ऐसा आगे न हो इसके लिए हमें सूझबूझ के साथ काम करना होगा। उस आपदा में जिले में कई मकान तथा पुल बह गए थे।

लोगों को डरा रही 2021 की आपदा

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पिछले साल 17, 18 और 19 अक्टूबर को आई आपदा को लोग अभी भूल नहीं सके हैं। बारिश के दिनों में लोगों को रात में नींद नहीं आ रही है। लोग घरों की छतों पर खड़े होकर पूरी रात काटने को मजबूर हो रहे हैं। यात्रियों को हर पल मौत का डर सता रहा है। कई राजमार्गों में मलबा, पत्थर गिरने का सिलसिला जारी है। इसकी मुख्य वजह पेड़ों का अंधाधुंध कटान और अवैध निर्माण ही है।

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( वरिष्ठ पत्रकार आदित्य पंत)

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