उत्तराखंड की राजनीति ने अपना एक बड़ा सितारा खो दिया है, इंदिरा हृदयेश की मौत की सूचना मिलते प्रदेश में शोक की लहर है कांग्रेस के साथ बीजेपी और तमाम राजनीतिक दल के नेताओं ने दुख व्यक्त किया है,अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड में इंदिरा ह्रदयेश का राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है
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7 अप्रैल 1941 को जन्मी इंदिरा हृदयेश का आज दिल्ली में निधन हो गया है, लगभग 80 वर्ष की उम्र में उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की सियासत में कद्दावर नेताओं में उनका शुमार रहा। उत्तराखंड के कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की दशा सुधारने में सबसे बड़ा हाथ इंदिरा हृदयेश का है। चार बार एमएलसी और चार बार विधायक रह चुकी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है।इंदिरा ने समय के हिसाब से राजनीति का हर उतार चढ़ाव देखा। लेकिन किसी को नहीं पता था कि वह इस तरह से अचानक सबको छोड़ जाएंगी
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पहली बार 1974 से 1980 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य रहने के बाद इंदिरा ह्रदयेश दूसरी बार 1986 से 1992 तक उत्तर प्रदेश में एमएससी बनी, इसके बाद 1992 से 1998 तक तीसरी बार एमएलसी रही और चौथी बार 1998 से 2000 तक एमएलसी रहने के बाद उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग हो गया जिसके बाद फिर वह उत्तराखंड सरकार में लीडर आफ अपोजिशन के पद पर रही।
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उत्तराखंड में पहले विधानसभा चुनाव में 2002 से 2007 तक वह कैबिनेट मिनिस्टर रही, संसदीय कार्य व कई महत्वपूर्ण विभाग उनके पास रहे, उसके बाद 2012 से 2017 तक फिर वह हल्द्वानी से चुनी गई और इस बार भी भारी भरकम विभागों के साथ कैबिनेट मिनिस्टर बनी और 2017 में कांग्रेस चुनाव हार गई लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी इंदिरा हृदयेश हल्द्वानी सीट जितने में कामयाब रहीं और नेता प्रतिपक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी का दायित्व संभाल रही थी,
आज 13 जून 2021 को उन्होंने अंतिम सांस ली।
अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति के तमाम गलियारों से लेकर आम जनता के दिलों तक अपनी अमिट छाप बनाने वाली कद्दावर नेता ने आज अंतिम सांस ली अपने 50 साल के सक्रिय राजनीति के दौरान उनके किए गए कामों को जनता ने हमेशा सराहा और उनके जाने के बाद भी प्रदेश की जनता हमेशा उन्हें याद करेगी ,उनके पार्थिव शरीर को कल रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर अंतिम विदाई दी जाएगी
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