सरकारी तंत्र का मंत्र: तालाब में रहकर मगर से बैर करोगे तो खैर नहीं…

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कहते हैं कि तालाब में रहकर मगर से बैर नहीं किया जा सकता है। इसी तरह यदि आप सरकारी तंत्र का हिस्सा हैं तो अपनी व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को जगजाहिर नहीं कर सकते, जो सरकार के खिलाफ हो। सोशल मीडिया पर कई लोग सरकार की खामियों पर टिप्पणी करते हैं लेकिन यदि कोई सरकारी कर्मचारी ऐसी पोस्ट करे तो इसका खामियाजा उसे तुरंत भुगतना पड़ता है। हाल ही की घटना पर गौर करें तो भवाली- भीमताल के पूर्व पुलिस क्षेत्राधिकारी की ओर से सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट डालने के चलते रातों रात हाईकमान ने उनका चमोली जिले में तबादला कर दिया। जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी तंत्र में काम करने वाला कर्मचारी स्वतंत्रता पूर्वक अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकता।

दरअसल, कुछ दिन पूर्व भवाली- भीमताल में तैनात सीओ प्रमोद साह का तबादला चमोली जिले के गोपेश्वर के लिए सिर्फ इसलिए कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने फेसबुक पर की गयी अपनी एक पोस्ट में कांग्रेस का समर्थन किया था। सीओ प्रमोद साह ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समर्थन को लेकर एक पोस्ट किया था। जिस पर उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने सीओ की पोस्ट को पुलिस नियमावली का उल्लंघन मानते हुए उनका तबादला गोपेश्वर कर दिया। जिसके बाद से यह मामला पूरे पुलिस महकमे में सुर्खियों की वजह बना हुआ है। हालांकि अब उनके फेसबुक से यह पोस्ट हटा दी गई है। हालांकि उन्हें चाहने वाले कर्मचारियों और स्थानीय लोगों में उनके इस तबादले सेमुख्यालय काफी निराशा है और वह इसे सरकार व पुलिस मुख्यालय की तानाशाही मान रही है।

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