नैनीताल। सरोवर नगरी में इन दिनों रामलीला का मंचन चल रहा है। यहां कई ऐसे मुस्लिम कलाकार हैं जो श्रीराम के आदर्शों से प्रभावित होकर लीला का मंचन कर रहे हैं। विभिन्न किरदारों का अभियन करने के साथ ही मेकअप आर्टिस्ट के रूप में वे सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं। खास बात यह है कि ये कलाकार बचपन से ही रामलीला के मंचन से किसी न किसी रूप से जुड़े हैं। रामलीला के दिनों में यह अपना पूरा सहयोग मंचन में करते हैं।
आदर्श रामलीला एवं जन कल्याण समिति की सूखाताल में आयोजित रामलीला और श्रीरामसेवक सभा परिसर में हो रही रामलीला में नासिर अली विभिन्न किरदारों का अभिनय करते हैं। मल्लीताल बड़ा बाजार निवासी नासिर नैनीताल में ही जन्मे हैं और कुमाऊं विश्वविद्यालय के कर्मचारी हैं। वह कहते हैं कि बचपन से ही रामलीला देखते आ रहे हैं। पिछले 25 सालों से वह रामलीला के मंचन से जुड़े हैं। बचपन से ही वह लीला के मंचन से जुड़ गए। शुरुआत में वानर सेना में बंदर का अभिनय करते रहे। उसके बाद बाणासुर, मारिच, इंद्र, शांतनु, श्रवण कुमार की भूमिका करने लगे।
इसके साथ ही वह रामलीला के पात्रों का मेकअप और मंच की साज-सज्जा, तालीम देने में भी सहयोग करते हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम धर्म का होने के बावजूद कभी उनके परिवार की ओर से रोकटोक नहीं की गई। वह खुदा की नियमित इबादत करते हैं। उन्होंने राम के आदर्शों को भी अपने जीवन में अपनाया है। वह उनके लिए एक प्रेरक हैं।
बड़ा बाजार क्षेत्र निवासी अनवर रजा भी पिछले 25 वर्षों से ही रामलीला कमेटी से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि सब धर्म एक समान है। अभिनय में किसी किस्म की दीवार नहीं होती। वह भी मेकअप आर्टिस्ट के साथ ही केवट, शांतनु, बंदीजन आदि का किरदार निभाते हैं। कहा कि रामलीला में शुरुआत बाल किरदारों का अभिनय करने से हुई। कहा कि वह पांच वक्त की नमाज भी पढ़ते हैं और राम के आदर्शों से भी प्रेरणा लेते हैं। कहा कि इन दिनों वह सूखाताल में चल रही रामलीला में सहयोग कर रहे हैं। लीला के मंचन से हिंदू और मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा मिलता है।