नैनीताल जिले के इस खंडहर इलाके में गुरुदेव ने लिखे थे नोबेल पुरस्कार की काव्य रचना के अंश, सरकार ने बिसराई यादें…

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नैनीताल। नैनीताल जिले में कई ऐसे इलाके हैं जो अपने खूबसूरती के साथ ही अपनी ऐतिहासिकता के लिए जाने जाते हैं। ऐसी ही एक जगह है नैनीताल से 40 किमी दूर रामगढ़ की सबसे ऊंची पहाड़ी पर एक बना एक खंडहर। जो किसी जमाने में राष्ट्रगान के रचयिता और भारत के पहले नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगौर का अस्थाई निवास हुआ करता था। इस जगह को टैगोर टॉप के नाम से भी जाना जाता है। यह भवन रामगढ़ की सबसे ऊँची पहाड़ी पर स्थित है।

टैगोर यहां गर्मियों में रहने आते और इस शांत और सुकून भरे इलाके में अपने काव्यों की रचना किया करते थे।
खास बात ये है कि रविन्द्र नाथ टैगोर ने कभी यहां “गीतांजलि” महाकाव्य के अंश लिखे थे। जिसके लिए उन्हें वर्ष 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यहां जाने के लिए घने बांज, बुराशं के जंगल से बीच का पैदल रास्ता लगभग दो किलोमीटर है।

महान लेखक और कवि रविन्द्र नाथ टैगोर का यह भवन अब खण्डहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन दुख की बात यह है कि जहां सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और सवारने की बात करती है। वहीं सरकार ने अभी तक इस ऐतिहासिक जगह की कोई सुध नहीं ली है।

हालांकि, टैगौर टॉप के नीचे इन दिनोंशिक्षा मंत्रालय द्वारा बनाए जा रहे गुरु रविंद्र नाथ टैगोर केंद्रीय विश्व विद्यालय के कैंपस परिसर का शिलान्यास हुआ है। लेकिन स्थानीय सामाजिककर्ताओं का कहना है कि इस जगह को भी संवारने की कवायद की जानी चाहिए।

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