नैनीताल। नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर उत्तराखंड के सभी जिले अपनी अलग पर्यावरण योजना बना रहे हैं। इसके लिए गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी के वैज्ञानिकों को पर्यावरण योजना के ड्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। पहले चरण में कुमाऊं के सभी जिलों का वैज्ञानिक सर्वे कर योजना बनाएंगे। नैनीताल जिले में बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण के साथ यहां वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाए किए जाएंगे।
मंगलवार को जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल की अध्यक्षता में इस संबंध में नैनीताल क्लब में एक परामर्शी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें वैज्ञानिकों ने नैनीताल जिले की पर्यावरण योजना के ड्राफ्ट पर चर्चा की। बताया कि पहले चरण में कुमाऊं के सभी जिलों की पर्यावरण योजना तैयार होनी है। इसके बाद वैज्ञानिक गढ़वाल के जिलों का दौरा करेंगे। जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने पर्यावरण योजना को जिला स्तर पर तैयार कर इसे हर निकाय व ग्राम स्तर पर लागू करवाये जाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
इस मौके पर गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं पर्यावरण आंकलन एवं जलवायु परिवर्तन केंद्र के अध्यक्ष डॉ. जेसी. कुनियाल ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल के निर्देश पर उत्तराखंड में हर जिले की वहां की परिस्थितियों के अनुसार अलग पर्यावरण योजना बनाई जानी है। इसमें ठोस अपशिष्ठ एवं अजैविक कचरे के वैज्ञानिक तरीके से समायोजन किया जाना है।
प्लास्टिक वेस्ट के प्रबंधन के लिए कुमाऊं विश्विवद्यालय के प्रो. नंदगोपाल साहू ने प्लास्टिक से ग्राफीन बनाने को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की। बैठक में निकायों के प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण में पेश आ रही समस्या के बारे में बताया। इस दौरान एडीएम अशोक जोशी समेत नगर निगम, नगर पालिका और वन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।