आईटीबीपी सीमाद्वार (देहरादून) में तैनात रहे कमांडेंट, दो दरोगा और तीन बड़े व्यापारियों के खिलाफ लाखों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। इस सम्बन्ध में सीबीआई ने संबंधित लोगों पर मुकदमा भी दर्ज किया है।
आरोप है कि इन्होंने 2017 से 2019 तक जवानों को मिलने वाले रसद, मीट, मछली, अंडा, दूध और फल की आपूर्ति में करीब 70 लाख रुपये का घोटाला किया है। यह घोटाला बिलों में काट-छांट और ओवरराइटिंग कर किया गया, जिससे सामग्रियों को बढ़ाकर दिखाया गया।
गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद सीबीआई ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इससे पहले भी आरोपी कमांडेंट, दरोगा समेत अन्य के खिलाफ चमोली स्थित अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर में केरोसिन की आपूर्ति में घोटाला करने पर दर्ज मुकदमे में सीबीआई चार्जशीट दे चुकी हैं। आरोपी कमांडेंट वर्तमान में बिहार में तैनात बताया जा रहा है।
सीबीआई को दी गई शिकायत में कमांडेंट 23 बटालियन आईटीबीपी पीयूष पुष्कर ने बताया कि कमांडेंट अशोक कुमार गुप्ता ने देहरादून में तैनाती के दौरान 2017 से 2019 के बीच तत्कालीन एसआई जीडी सुधीर कुमार और अनुसूया प्रसाद ने निजी व्यापारियों के साथ मिलीभगत कर सरकारी खरीद में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं कीं।
जवानों को मिलने वाले राशन, मटन, चिकन, मछली, अंडे, पनीर, दूध, फल आदि की आपूर्ति के बढ़े हुए बिल पेश करने, आधिकारिक रिकॉर्ड में बदलाव करने, बिलों में काट-छांट कर आईटीबीपी को 70,56,787 रुपये वित्तीय हानि पहुंचाईं। इस मामले में हुई आंतरिक जांच में खुलासा होने पर आईजी नॉर्दन फ्रंटियर सीमाद्वार देहरादून ने गृह मंत्रालय से मुकदमे की अनुमति मांगी।गृह मंत्रालय ने इस मामले में मुकदमे की अनुमति दी गई। इसके बाद वर्तमान कमांडेंट पीयूष पुष्कर ने सीबीआई को तहरीर दी।
सीबीआई देहरादून शाखा के एसपी सतीश कुमार राठी ने मुकदमा दर्ज करते हुए पूरे मामले की विस्तृत जांच इंस्पेक्टर शरद चंद गुसांई को सौंपी है। इधर, कमांडेंट के खिलाफ भ्रष्टाचार का दूसरा मुकदमा दर्ज होने से उनके कार्यकाल में तैनात अन्य अफसरों, जवानों एवं वाहिनी को आपूर्ति करने वाले व्यापारियों में हड़कंप मचा है।