नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा के तहत कौशल विकास पाठ्यक्रमों के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसमें नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक में दो साल तक कौशल विकास का कोर्स पढ़ना अनिवार्य कर दिया है। प्रत्येक सेमेस्टर में यह कोर्स कुल 3 क्रेडिट का होगा। स्नातक स्तर पर प्रत्येक विद्यार्थी को प्रथम दो वर्षों (चार सेमेस्टर्स) के प्रत्येक सेमेस्टर में तीन क्रेडिट का एक कौशल विकास कोर्स करना होगा। विद्यार्थी की ग्रेड शीट पर इन कोर्सों के ग्रेड तो अंकित होंगे, लेकिन उन्हें सीजीपीए की गणना में शामिल नहीं किया जाएगा।
कुमाऊं विश्वविद्यालय में बुधवार को प्रशासनिक भवन में कौशल विकास पाठ्यक्रमों के संचालन से संबंधित एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. एनके जोशी ने की। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर और इससे संबंद्ध संस्थानों में संचालित किये जा रहे कौशल विकास पाठ्यक्रमों से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए।
बैठक में कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि महाविद्यालय और संस्थान कौशल विकास पाठ्यक्रम को अपने यहां उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप चयनित व संचालित करेंगे। यदि कोई संस्थान कौशल विकास के पाठ्यक्रम को लेकर किसी कंपनी से एमओयू करना चाहता है, तो वह कर सकता है। कहा कि कौशल विकास पाठ्यक्रमों के पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट में अपलोड कर दिए हैं।
इस मौके पर कुलसचिव दिनेश चंद्रा ने कहा कि जिन महाविद्यालयों में विवि के परिसरों में संचालित कौशल विकास पाठ्यक्रम के अलावा कोई अन्य पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है, उसका पाठ्यक्रम व अन्य सूचनायें विश्वविद्यालय को तत्काल उपलब्ध कराया जायेगा ताकि विश्वविद्यालय स्तर पर अग्रिम कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
इस दौरान कौशल विकास पाठ्यक्रम के प्रभारी डॉ. महेंद्र राणा, कम्युनिटी कॉलेज भीमताल के प्राचार्य डॉ. कुमुद उपाध्याय, उप परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशोक कुमार, सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ. गगनदीप होती आदि मौजूद रहे।