जोशीमठ के भू-धंसाव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने जोशीमठ के भू-धंसाव की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को जनहित याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता के वकील परमेश्वर नाथ मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि, वह जोशीमठ को विलुप्त होने से बचाने के लिए जल्द उपाय के निर्देश दे। याचिका में कहा गया कि, भू धंसाव की जद में करीब ढाई हजार साल प्राचीन मठ भी आ गया है।
पूरा जोशीमठ दहशत में है। जोशीमठ की आबादी करीब 25 हजार है। जिसमें से करीब 600 मकान खाली कराने के आदेश दिए गए हैं।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है, सरकार को आदेश दें कि इस दिशा में फौरन कार्रवाई की जाए।
याचिका में गुहार लगाई गई है कि, एनटीपीसी और सीमा सड़क संगठन को भी राहत कार्यों में मदद करने का आदेश दिया जाए। याचिका में केंद्र सरकार, एनडीएमए, उत्तराखंड सरकार, एनटीपीसी, बीआरओ और जोशीमठ के जिला चमोली के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के साथ उनको आर्थिक मदद मुहैया कराने का भी आदेश देने का आग्रह सुप्रीम कोर्ट से किया गया है।
क्यों खास है जोशीमठ ?
जोशीमठ, उत्तराखंड में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित एक धार्मिक पहाड़ी शहर है। जोशीमठ कई अहम तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार है। यह शहर पर्यटन की दृष्टि में बेहद अहम है। यहां बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब जाने वाले लोग रात में विश्राम करते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भी जोशीमठ बेहद महत्व रखता है। यह सेना की सबसे महत्वपूर्ण छावनियों में से एक है।