रुद्रप्रयाग। केदारनाथ घाटी से गरुड़चट्टी के बीच मंगलवार सुबह हुए हेलीकॉप्टर हादसे की वजह को शुरुआती तौर पर खराब मौसम और घना कोहरा माना जा रहा है। हेलीकॉप्टर भी पूरी तरह से टूट और जल गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस हादसे की विस्तृत जांच के आदेश दे चुके हैं। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस हेली दुर्घटना की असली वजह सामने आ पाएगी।
दरअसल, केदारनाथ घाटी के मौसम का एक पल का भी भरोसा नहीं है। यहां मौसम का यह मिजाज है कि एक पल में चटख धूप खिल जाती है तो दूसरे ही पल में घने बादल और कोहरा छा जाता है। एविएशन कंपनियों के सूत्रों की मानें तो समुद्रतल से करीब 11500 फीट से अधिक ऊंचाई वाले केदारनाथ क्षेत्र में किसी हेलीकॉप्टर/चॉपर या विमान को संकरी घाटी से होकर गुजरना होता है। इस घाटी में मौसम अक्सर बेहद खतरनाक होता है। हवा का दबाव अत्यधिक होने के साथ ही मौसम किसी भी पल बिगड़ जाता है।
यह भी कहा जा रहा है कि मौसम को सही जानकर उड़ान भरी जाती है, लेकिन अगले ही पल इस कदर काले बादल और घना कोहरा छा जाता है कि दृश्यता एक तरह से शून्य हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में किसी भी पायलट के लिए विमान को वापस ले जाना भी किसी चुनौती और जोखिम से कम नहीं होता। ऐसे में छोटी सी चूक बड़े हादसे का सबब बन जाती है। घने कोहरे में पता नहीं चल पाता कि कब वह किसी पहाड़ी से टकराकर आग का गोला बन गया।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, रुद्रप्रयाग के अनुसार, हेलीकॉप्टर के टेक ऑफ करने और हादसा होने में चंद पलों का ही अंतर है।
हेलीकॉप्टर ने सुबह 11:34 बजे उड़ान भरी और 11:36 बजे यह हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। आपदा प्रबंधन को 11:45 बजे हेलीकॉप्टर क्रैश होने की सूचना मिली। ऐसे में संभावना इस बात की भी है कि यह हेलीकॉप्टर ऐसे ही बिगड़े मौसम का शिकार हो गया हो। बादलों के अचानक छा जाने के कारण दृश्यता शून्य हो गई हो और पायलट को कुछ भी न दिखाई दिया हो और इसी वजह से किसी पहाड़ से हेलीकॉप्टर टकरा गया हो।
पहले भी होते आए ऐसे हादसे
जानकारों के मुताबिक, केदारनाथ आपदा के समय राहत और बचाव कार्यों के समय भी वायु सेना और निजी एविएशन कंपनियों के विमान इस तरह के हादसों का शिकार हो चुके हैं। केदारनाथ घाटी और उसके आसपास अचानक मौसम बिगड़ने पर शून्य दृश्यता में विमान को ऊंचे पहाड़ों से बचाकर सुरक्षित उड़ा ले जाना बेहद चुनौती के साथ ही जोखिम भरा माना जाता है।