शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती: नौ साल की उम्र में घर छोड़ने वाले इस संत ने राम मंदिर निर्माण के लिए लड़ी थी लंबी लड़ाई, महिलाओं के शनि मंदिर में पूजा की मनाही वाली विवादित टिप्पणी भी दी…

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हरिद्वार। ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में दोपहर साढ़े 3 बजे अंतिम सांस ली।
दरअसल वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे।

स्वामी स्वरूपानंदजी आजादी की लड़ाई में कई बार जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। शंकराचार्य सरस्वती के माता-पिता ने बचपन में उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। उन्होंने 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और धर्म की तरफ रुख किया। उन्होंने काशी (यूपी) में वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली। स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती ने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। उन्होंने 15 महीने की जेल में सजा काटी। सरस्वती ने यूपी के वाराणसी में 9 और मध्य प्रदेश में 6 महीने जेल की सजा काटी थी।

महिलाओं के विरोध में दिया थे विवादित बयान
उन्होंने महिलाओं को शनि और साईं की पूजा न कर, उनका विरोध करने संबंधी विवादास्पद बयान दिया। कहा था कि महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के जबरन प्रवेश के चलते ही केरल के मंदिर में भयानक हादसा हुआ। इसके अलावा बेटियों के दाह संस्कार करने को लेकर दिए बयान से भी वे चर्चाओं में रहे थे। कहा था कि पितरों को तृप्ति तब मिलती है, जब उनका बेटा, पौत्र या बेटी का बेटा दाह संस्कार और तर्पण करे। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाले और उलेमाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास करने वाले स्वामी स्वरूपानंद का राम मंदिर को लेकर दिया बयान भी चर्चाओं में रहा था। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर नहीं, विश्व हिंदू परिषद का कार्यालय बन रहा है। जिसके बाद वो काफी चर्चाओं में आ गए थे।

पीठ के नए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती होंगे

आज स्वामी स्वरूपानंद के अंतिम संस्कार की पूरी रस्में लगभग दो घंटे तक चलीं। ज्योतिष पीठ एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के दूसरे दिन नए उत्तराधिकारियों की घोषणा कर दी गई है। ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती होंगे।जबकि शारदा पीठ के नए शंकराचार्य सदानंद सरस्वती को बनाया गया है। शंकराचार्य स्वरूपनानंद सरस्वती को समाधि से पहले ही इस संबंध में सोमवार को घोषणा कर दी गई थी। शंकराचार्य परंपरा के अनुसार गुरु की समाधि से पहले ही उत्तराधिकारी की घोषणा की जाती है। स्वरूपानंद सरस्वती दो पीठों के शंकराचार्य थे। दोनों पीठों के लिए उन्होंने अलग-अलग उत्तराधिकारी तय लिए थे। उनके निजी सचिव ने निधन के बाद उनका ‘विल’ पढ़कर ये घोषणा की है।

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