उत्तराखंड में बजट खर्च न करने पर 13 हजार प्रधानाचार्यों का वेतन रोका

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शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्यों/प्रधानाध्यापकों और अधिकारियों के मनमाने रवैये से महानिदेशक बंशीधर तिवारी जरा भी खुश नजर नहीं आ रहे हैं। नौनिहालों की जान और उनकी सुविधा के प्रति टालू रवैया अपनाने वाले कार्मिकों पर शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी इस बार ऐसे भड़क उठे कि उन्होंने प्रदेश के 13 हजार प्रधानाचार्यों और 108 अधिकारियों का वेतन रोकने का आदेश कर डाला। प्रायः सौम्य नजर आने वाले महानिदेशक की इस सख्त कार्रवाई के बाद शिक्षा महकमे में हड़कंप की स्थिति है। दरअसल, बात भी बेहद गंभीर है। क्योंकि, 13 हजार से अधिक स्कूलों के जर्जर हालत में पहुंचने के बाद भी उनकी दशा में सुधार के लिए समग्र शिक्षा से मिले बजट को भी कार्मिक खर्च नहीं करा पा रहे हैं।

सोमवार को ननूरखेड़ा स्थित समग्र शिक्षा कार्यालय में विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने समग्र शिक्षा के तहत कक्षा 01 से 12वीं तक के 16055 विद्यालयों को दी गई धनराशि की समीक्षा की। समीक्षा में यह बात सामने आई कि इन विद्यालयों में से 13625 विद्यालयों शिक्षा सत्र 2023-24 में एक रुपया भी खर्च नहीं किया। इस रिपोर्ट को देखकर शिक्षा महानिदेशक का पारा चढ़ गया। उन्होंने उपस्थिति अधिकारियों को पहले फटकार लगाई और फिर वेतन रोकने का आदेश जारी करने के साथ ही प्रतिकूल प्रविष्टि देने को लेकर भी कार्यवाही शुरू कर दी।

इस वर्ष केंद्र सरकार से उत्तराखंड को 1196 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। जिसे विद्यालयों में बुनियादी शिक्षा पर व्यय किया जाना है। समीक्षा बैठक में जो तस्वीर निकलकर सामने आई वह घोर निराश करने वाली थी। विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए समग्र शिक्षा के अंर्तगत दी जा रही सुविधाओं का लाभ समय पर दिया जाना जरूरी है। किसी भी सूरत में छात्रों को निःशुल्क पुस्तकें और गणवेश प्रदान करने में विलंब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विद्यालयों को जो धनराशि दी गई है, वह उस राशि का उपयोग विद्यालयों का छोटे-मोटे मरम्मत कार्यों को पूरा करने में भी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों को दी गई धनराशि का समय पर उपयोग नहीं करने पर केंद्र सरकार के स्तर से भी निरंतर रोष व्यक्त किया जा रहा है। जिस पर शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी संबंधित अधिकारियों और स्कूल मुखिया पर कार्रवाई करने के निर्देश दे रखे हैं। इसी क्रम में जब शिक्षा महानिदेशक ने खर्च की समीक्षा में हालत देखी तो वह बुरी तरह उखड़ गए। जिसकी परिणीति अब इस सख्त एक्शन के रूप में दिखी है। इसके अलावा उन्होंने अल्टीमेटम दिया कि यदि एक सप्ताह के भीतर खर्च की दशा में सुधार नहीं दिखा तो संबंधित के विरुद्ध प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्यवाही भी की जाएगी।

प्रगति नजर न आने तक जारी नहीं होगा वेतन
विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि समय पर दी गई धनरािश को व्यय करने के बारे में बार-बार निर्देश दिए जाते रहे हैं, लेकिन अधिकारियों ने न तो धनराशि के उपयोग की समीक्षा की और ना ही लापरवाही बरत रहे विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों/प्रधानाचार्यों के विरुद्ध कोई एक्शन लिया। इसी कारण स्थिति अत्यंत खराब हो गई। इसके लिए सभी 13 जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारी, समस्त 95 विकासखंड शिक्षा अधिकारी और एक रुपये का उपयोग नहीं करने वाले 13625 विद्यालय मुखिया का जुलाई माह का वेतन तब तक जारी नहीं होगा, जब तक वह दी गई धनरािश का नियमानुसार उपयोग कर सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) पोर्टल पर अंकित नहीं कर देते हैं। समीक्षा बैठक में अपर राज्य परियोजना निदेशक डा. मुकुल कुमार सती, उपराज्य परियोजना निदेशक अजीत भंडारी, एमएम जोशी, स्टाफ ऑफिसर बीपी मैंदोली आदि माैजूद रहे।

ग्रामीण निर्माण विभाग से काम छीन सकता है शिक्षा विभाग, एचओडी को नोटिस जारी
प्रदेश के स्कूलों की दशा में सुधर और सुविधाओं के विकास के लिए शिक्षा विभाग ने ग्रामीण निर्माण विभाग (आरडब्ल्यूडी) को निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन, विभाग के कार्मिकों की भांति ही यह एजेंसी भी कछुआ चाल से आगे बढ़ रही है। पिछले दो साल में एजेंसी को सौंपे गए 723 निर्माण कार्यों में से 250 ही पूरे किए जा सके हैं। साथ ही 397 निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहे हैं और 76 निर्माण कार्य दो साल बाद भी शुरू नहीं हो पाए हैं। इस स्थिति पर खेद व्यक्त करते हुए विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने निर्माण एजेंसी के एचओडी (मुख्य अभियंता) को नोटिस जारी किया है।

नोटिस में महानिदेशक ने कहा कि समग्र शिक्षा माध्यमिक के अंतर्गत आने वाले राजकीय विद्यालयों में आर्ट एंड क्राफ्ट कक्ष, कम्प्यूटर कक्ष, पुस्तकालय प्रयोगशाला, छात्र-छात्राओं के अलग-अलग शौचालय, शिक्षक और स्टाफ के शौचालय, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान की अलग-ललग लैब व अन्य छोटे-बड़े रिपेयरिंग कार्यों की जिम्मेदारी ग्रामीण निर्माण विभाग को सौंपी गई है। वर्ष 2022-23 में शिक्षा विभाग ने 376 निर्माण कार्य आरडब्ल्यूडी को आवंटित किए, जिनमें से अभी तक केवल 171 कार्य ही पूर्ण हो पाए हैं, 178 निर्माण कार्य गतिमान हैं और 27 निर्माण कार्य तो आरंभ ही नहीं हुए हैं। इसी प्रकार वर्ष 2023-24 में विभाग को 347 स्वीकृत कार्यों में से केवल 79 कार्य ही पूर्ण हुए हैं। 219 निर्माण कार्य गतिमान है। 49 निर्माण कार्य अभी तक शुरू ही नहीं हो पाए हैं। जबकि 2022-23 और वर्ष 2023-24 में आवंटित किए गए कार्यों के लिए 90 प्रतशित धनराशि दी जा चुकी है, जो अत्यंत खेद जनक स्थिति को दर्शाता है। यदि एजेंसी का यही ढर्रा रहा तो सभी कार्य वापस लेकर अन्य एजेंसी को सौंप दिए जाएंगे।