नैनीताल। उत्तराखंड वन विभाग द्वारा नैनीताल जिले के चिड़ियाघर और दो लीसा डिपो को आईएसओ सार्टिफिकेट दिलाने के लिए कवायद की जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही इन सभी को मान्यता मिल जाएगी। इससे यहां व्यवस्थाएं दुरस्त होने के साथ ही संस्थानों की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
कुमाऊं के वन संरक्षक पीके पात्रो ने जानकारी देते हुए बताया कि वन विभाग की ओर से नैनीताल स्थित गोविंद बल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान चिड़ियाघर और हनुमानगढ़ी, काठगोदाम शीशमहल के लीसा डिपो को नई पहचान मिल सके, इसके लिए इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
चिड़ियाघर में रहने वाले जानवर, जिन्हें पूरी तरह से प्राकृतिक माहौल में रहने की आदत है, उन्हें एक बेहतरीन सस्टेनेबल माहौल देना उनका उद्देश्य है। साथ ही चिड़ियाघर के रखरखाव और यहां आए पर्यटकों के वेस्ट से उस जगह को दूषित होने से बचाने के लिए कार्य किया जा रहा है।
बताया कि चिड़ियाघर के लिए एक विशेष पर्यावरण संरक्षण प्लान तैयार तैयार जा रहा है। जिसके लिए चिड़ियाघर में अभी पर्यटकों को प्लास्टिक की बोतल अंदर ले जाने पर टैग के साथ 10 रुपये का टोकन लेना अनिवार्य किया गया है। लौटते वक्त बोतल वापस बाहर दिखाकर उन्हें 10 रुपये वापस लौटा दिए जा रहे हैं। कहा कि नैनीताल के लीसे को वैश्विक पटल पर पहचान मिल सके, इसके लिए भी आईएसओ प्रमाण आवश्यक है।
आईएसओ सर्टिफिकेट मिलने से संस्था की विश्वसनीयता बढ़ती है। शुद्धता व सेवाओं का प्रमाण मिलता है, संस्था को बढ़ावा मिलता है, संस्था के लागत व सेवाओं में भी सुधार होता है। इसके लिए आवेदन किया गया है, जल्द की स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।
पीके पात्रो, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं