भगवान कृष्ण वृंदावन में अपने बालकाल में पड़ोस के घरों से माखन चुराया करते थे। एक बार माखन की चोरी करने के बाद जब वह भाग रहे थे तो उनकी मां यशोदा ने उन्हें पकड़ लिया। यशोदा मैया की डांट से बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने माखन को एक पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर छिपा दिया। मान्यता है कि तभी से उस पेड़ की पत्तियों का आकार कटोरी जैसा हो गया।
पत्तियो का कटोरे जैसा आकार… छोटी पत्तिया चम्म्च के आकार की, ये पेड़ माखन कटोरी का है जिसे कृष्ण वट भी कहा जाता है, माना जाता है की माखन की चोरी करने के बाद जब कृष्ण भाग रहे थे तो उनकी मां यशोदा ने उन्हें पकड़ लिया। यशोदा मैया की डांट से बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने माखन को एक पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर छिपा दिया। मान्यता है कि तभी से उस पेड़ की पत्तियों का आकार कटोरी जैसा हो गया। और उसके बाद से पेड़ की इस किस्म को “माखन कटोरी” कहा जाने लगा।
इस पेड़ की कथा यहीं समाप्त नहीं होती। श्रीकृष्ण ने यशोदा मैया से डांट सुन ली और इसके बाद माखन पिघल गया और यह पत्तियों की बनी कटोरी से बहने लगा। कहा जाता है कि इसी वजह से जब इस पेड़ के पत्तों को तोड़ा जाता है तो उसमें से एक रस निकलता है, जिसे माखन कहते हैं। माखन कटोरी के वृक्ष अधिकांशत: उत्तराखण्ड में भी पाये जाते है, लेकिन वर्तमान में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में तैयार किये जा रहे है, जो कृष्ण वट के पुराने इतिहास को नया जीवन देने का काम कर रही है,
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यही नही वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में कदम्ब के पेड़ भी बड़ी मात्रा में मौजूद है, मान्यता है की कदम्ब के पेड़ों पड़ चढ़कर गोपियों को रिझाते थे, भगवान कृष्ण से जुड़ी एक और चीज़ जिसका वर्णन श्री कृष्ण की आरती में भी है ‘गले में वैजयंती माला’ को भी हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र संरक्षित कर रहा है, यानी अगर जन्माष्टमी पर आप भगवान कॄष्ण को खुश करना चाहते है तो कृष्ण से जुड़ी हर चीज़ आपको यहां मिल जाएगी।
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वन अनुसन्धान केंद्र हल्द्वानी कृष्ण वट समेत कदम्ब और वैजयंती को संरक्षित करने के भरपूर प्रयास में जुटा है, माखन कटोरी यानी फाइकस कृष्णाय के छोटे छोटे पौध तैयार कर धार्मिक जगहों में लगाये व दिए जा रहे है,