देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिल गई है। सोमवार को शपथ ग्रहण के बाद वह देश के सर्वोच्च सांवैधानिक पद पर आसीन हो गई हैं। मुर्मू का स्वभाव बेहद मिलनसार और आत्मीयता भरा रहा है। उनके विधायक या झारखंड की राज्यपाल रहने के दौरान जब भी उनके बचपन के मित्र या सहपाठी उनसे मिलते थे तो अक्सर वह उन्हें ‘तू’ कहकर ही संबोधित करते थे लेकिन अब ये साथी सोच रहे हैं कि क्या देश के सर्वोच्च सांवैधानिक पद पर पहुंचने कि क्या वह अब भी महामहिम द्रौपदी मुर्मू को ‘तू’ कहकर संबोधित करेंगे या उन्हें ‘आप’ कहना होगा। जहां आप में सम्मान का भाव है वहीं तू में आत्मीयता झलकती है।
उपरबेड़ा उच्च प्राथमिक विद्यालय में मुर्मू के सहपाठी रहे रामचंद्र पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि द्रौपदी सीधी और मिलनसार लड़की रही हैं। स्कूल के दिनों में वह अक्सर एक ही थाली में भोजन किया करते थे। उन्हें क्या पता था जिस लड़की के साथ वह भोजन कर रहे हैं, वह एक दिन देश की राष्ट्रपति बनने वाली हैं। वह तब उन्हें ‘तू’ कहकर ही संबोधित करते थे लेकिन आज हालात बदल गए हैं।
दो दिन पहले ‘महामहिम’ ने किया सहपाठी को फोन
कॉलेज में द्रौपदी मुर्मू की सहपाठी रहीं सुचित्रा कहती हैं कि दो दिन पहले जब वह राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं थीं तो उन्होंने फोन किया था। बताया कि उन्हें इसकी कतई उम्मीद नहीं थी लेकिन इतने बड़े पद पर चुने जाने के बाद वह आज भी वैसी ही हैं जैसी पहली मुलाकात के दौरान थी। सुचित्रा ने बताया कि उन्होंने कुछ साल पहले झारखंड राजभवन में भी उनसे मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने कॉलेज के समय को खूब याद किया था।
उनके एक मित्र गोविंद बताते हैं कि द्रौपदी अक्सर उन्हें घर बुलाकर पखाल भात खिलाती थीं। झारखंड की राज्यपाल रहने के दौरान एक बार वह उनके घर आई थीं। पता नहीं अब उनके साथ पहले जैसे बातचीत कर पाएंगे कि नहीं।