केएमवीएन और जीएमवीएन एकीकरण से होगा उत्तराखंड के पर्यटन का विकास

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उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद पर मोहर लगने की उम्मीद

नैनीताल। उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में कार्य करने वाले राज्य सरकार के सबसे बड़े उपक्रम कुमाऊं मंडल व गढ़वाल मंडल विकास निगमों को लेकर सरकार व शासन बड़ा निर्णय लेने की तैयारी में है। योजना के अनुसार दोनों ही निगमों का एकीकरण कर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के नाम से नई संस्था को बनाया जाएगा, जिसमें पर्यटन परिषद को भी शामिल किया जाएगा।

केएमवीएन व जीएमवीएन के एकीकरण को लेकर शासन स्तर पर बनी दो समितियां पिछले कई महीनों से इस पर होमवर्क कर एकीकरण व कर्मचारियों के हितों पर मंथन कर रही हैं, जिसमें सभी पहलुओं का ध्यान भी रखा जा रहा है, जिससे कि नए पर्यटन विकास का खाका तैयार किया जा सके। शासन द्वारा गठित समिति के सदस्य एवं कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर के अनुसार, सब कुछ ठीक ठाक रहा और दोनों निगमों का सफलता पूर्वक एकीकरण हुआ तो यह राज्य हित में होगा। इससे धन की बर्बादी भी रुकेगी और उत्तराखंड के पर्यटन का विकास होगा।

एमडी तोमर ने कहा कि इस पूरी एकीकरण की प्रक्रिया में कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा, उनके प्रमोशन, वरिष्ठता व वेतन संबंधी सभी प्रावधानों को पूर्व की भांति ही रखा गया है, जिससे कि कर्मचारियों के हितों में किसी तरह का टकराव न हो। बताया कि वर्तमान में कुमाऊं मंडल विकास निगम में कर्मचारियों की भारी कमी है और पिछले 1996 से निगम ने सीधी भर्ती नहीं हुई है। जिसके चलते करीब 300 नियत कर्मचारियों की निगम को जरूरत है। इसके अलावा निगम के पास बहुत ज्यादा संसाधन नहीं है और जो हैं भी उनमें से अधिकांश संसाधन घाटे में चल रहे हैं। कहा कि अगर बात दोनों निगमों की वित्तीय स्थिति की करें तो सातवें वेतनमान के बाद गढ़वाल मंडल विकास निगम के नियमित कर्मियों का वेतन का खर्च प्रतिमाह 3.75 करोड़ से बढ़कर करीब 4.25 करोड़ हो गया है, जबकि कुमाऊं मंडल विकास निगम पर प्रतिमाह 2.75 करोड़ का खर्च बढ़कर करीब 3 करोड़ तक पहुंच गया है।

अधिकारियों की मानें तो एकीकरण के बाद राज्य से बाहर दोनों निगमों के एक ही दफ्तर होंगे। इससे कार्यालयों के खर्च में भी कमी आएगी। साथ ही इसके शानदार परिणाम मिलेंगे और राज्य प्रगति करेगा।

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