नैनीताल। उत्तराखंड शासन ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पैरवी के लिए वर्ष 2014 में नियुक्त किए 17 अधिवक्ताओं को हटा दिया है। इनमें दो उपमहाधिवक्ता, एक-एक सहायक महाधिवक्ता एवं स्थायी अधिवक्ता तथा 13 वादधारक शामिल हैं। जिन अधिवक्ताओं की आबद्धता समाप्त की गई है उसमें, उपमहाधिवक्ता संदीप टंडन, उपमहाधिवक्ता सुधीर कुमार चौधरी, सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रेम सिंह बोहरा, स्थायी अधिवक्ता सुहास रतन जोशी तथा वाद धारक सीमा साह, गीता परिहार, कल्याण सिंह मेहता, अनिरुद्ध भट्ट, फरीदा सिद्दकी, अतुल बहुगुणा, शिवाली जोशी, सौरभ कुमार पांडेय, दर्शन सिंह बिष्ट, प्रीता भट्ट, उमेश बेलवाल, संगीता भारद्वाज, अक्षय लटवाल शामिल हैं।
बताया गया है कि आबद्धता समाप्त किये गए अधिवक्ताओं में से छह पिछली सरकार में भी सरकारी अधिवक्ता एवं भाजपा व संघ के पदाधिकारियों के निकट के लोग भी शामिल हैं। आबद्धता समाप्त किये जाने का कारण कोरोना काल में सरकार की कमजोर आर्थिक स्थिति को बताया जा रहा है, जबकि अन्य निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। क्योंकि 17 अधिवक्ताओं को हटाये जाने से सरकार की आर्थिक सेहत पर पड़ने वाला प्रभाव मामूली ही हो सकता है।