चंपावत जिले में रक्षाबंधन के दिन मां बाराही के दरबार मे होने वाला बग्वाल मेला इस बार कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गया , महामारी को देखते हुए इस बार यह निर्णय लिया गया इसे न खेलने का निर्णय लिया गया है कई दशकों पुरानी मान्यता औरआस्था से जुड़ा है यह त्यौहार न सिर्फ एक मेला है बल्कि यहां होने वाली पवित्र बग्वाल भी अपने आप में एक अनूठा संगम है
कोरोना संक्रमण के चलते इस बार पारंपरिक बग्वाल नहीं होगी लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी मंदिर समिति के अध्यक्ष खीम सिंह लमगढ़िया ने मेले को लेकर बताया कि रक्षाबंधन त्यौहार के दिन होने वाले इस मेले में चार खाम मिलकर एक योद्धा के रूप में पूजा अर्चना के बाद बग्वाल खेलते हैं
पारंपरिक रूप से होने वाली इस बग्वाल को पहले जहां मान्यताओं के साथ पत्थरों से खेला जाता था तो वहीं अब पिछले कुछ वर्षों से फूलों और फलों के जरिए बग्वाल मेले का आयोजन होता है लेकिन इस बार कोरोना जैसी महामारी के चलते आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक यह मेला आजादी के बाद पहली बार नहीं खेला जाएगा ।
मां बाराही की आस्था से जुड़ा यह पावन “बग्वाल” मेला बरसों से चली आ रही हमारी संस्कृति और विरासत को संजोए रखने का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है समस्त पाठक गणों को हेल्थ मिलन परिवार की ओर से पावन और अटूट बंधन से जुड़े रक्षाबंधन त्योहार की ढेरों शुभकामनाएं ।।