पूजा खेडकर को बर्खास्त कर क्या मसूरी की प्रशासन अकादमी दोहराएगी इतिहास

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क्या मसूरी की राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी ट्रेनी आइएएस अधिकारी पूजा खेडकर की बर्खास्तगी के साथ इतिहास को दोहराएगी। क्योंकि, इससे पहले अनुशासनहीनता के मामले में वर्ष 1981 में तत्कालीन निदेशक पीएस अप्पू (अब दिवंगत हो चुके) ने एक आइएएस प्रोबेशनर को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।

वर्ष 2023 बैच की ट्रेनी आइएएस पूजा खेडकर के ताजा प्रकरण को देखा जाए तो यह वर्ष 1981 के प्रकरण से कहीं गंभीर है। तब एलबीएसएनएए (लबासना) के निदेशक ने ट्रेकिंग के दौरान अत्यधिक शराब पीने और 02 महिला प्रोबेशनर्स के सिर पर लोडेड रिवॉल्वर तानने के मामले में आरोपी अधिकारी को बर्खास्त करने का कदम उठाया था। जबकि इस प्रकरण में अनुशासनहीनता के साथ ही फर्जी नियुक्ति के आरोप भी ट्रेनी आइएएस पूजा खेडकर पर लगे हैं। जिनकी जांच गतिमान है और इसी बीच मसूरी स्थित राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी ने पूजा की फील्ड ट्रेनिंग रद्द कर उन्हें वापस अकादमी में तलब किया है। ऐसे में उनकी मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

एलबीएसएनएए के निदेशक रहे रिटायर्ड आइएएस अधिकारी संजीव चोपड़ा कहते हैं कि यदि पूजा खेडकर पर लगाए गए आरोप सही साबित होते हैं तो राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के निदेशक उन्हें बर्खास्त कर सकते हैं। क्योंकि, प्रोबेशन अवधि में अधिकारी अकादमी निदेशक के सीधे नियंत्रण में होते हैं। किसी भी अधिकारी के कन्फर्मेशन (स्थायीकरण) तक अकादमी निदेशक उन्हें बर्खास्त कर सकते हैं। पूर्व आइएएस अधिकारी चोपड़ा यह भी कहते हैं कि पूजा के दोषी पाए जाने की स्थिति में प्रशिक्षण के दौरान उन पर किए गए खर्च की वसूली भी की जानी चाहिए। इसके अलावा उनकी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों पर भी एक्शन लिया जाना चाहिए।

इन नियमों में बंधे होते हैं आइएएस अधिकारी
सभी प्रशासनिक अधिकारी अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के तहत काम करते हैं। वहीं, आइएएस अधिकारियों की ट्रेनिंग भारतीय प्रशासनिक सेवा (परिवीक्षा) नियम, 1954 के तहत होती है। ये नियम केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू होते हैं। इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों के काम करने के तौर-तरीकों, शिष्टाचार, सेवा के दौरान पालन करने वाले नियम आदि का जिक्र है। अपनी सेवा के दौरान किसी भी अधिकारी को जिन नियमों का पालन करना होता है उन्हें ‘सामान्य नियम’ कहा गया है। अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 की धारा 3 में सामान्य नियमों का उल्लेख है।