
रुद्रप्रयाग: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख बाबा केदारनाथ धाम के कपाट आज भैयादूज के पावन पर्व पर विधि-विधानपूर्वक शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह 8:30 बजे मंत्रोच्चार और वैदिक विधि के बीच कपाट बंद होने की प्रक्रिया संपन्न हुई।
कपाट बंद होने से पूर्व सुबह 4 बजे से 6 बजे तक बाबा के स्वयंभू लिंग की विशेष समाधि पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद 6 बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट बंद किए गए। ठीक 8:30 बजे बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव डोली मंदिर से बाहर लाई गई। परंपरा के अनुसार डोली ने मंदिर की परिक्रमा की और उसके बाद भक्तों के जयकारों के बीच अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

डोली आज रामपुर में पहला रात्रि प्रवास करेगी। 24 अक्टूबर को डोली गुप्तकाशी पहुंचेगी और 25 अक्टूबर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचेगी, जहां अगले छह माह तक बाबा केदारनाथ की पूजा-अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर में की जाएगी।
कपाट बंद होने की पावन बेला पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी सहित हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे। पूरे धाम में “जय केदार” के जयघोष गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने बाबा से उत्तराखंड सहित देशभर में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।

