पहाड़ों के लिए राहतभरी खबर, अत्यंत संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों के साथ दुश्मन की तरह काम करने वाला भारत सरकार का राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और प्रधानमंत्री मोदी के सलाहकारों ने जिस प्रकार बिना भूविज्ञानियों की सलाह के पहाड़ों को क्षत-विक्षत कर तथा सदियों पुरानी बसाहतों को उजाड़ कर फर्राटा भरने वाले वाहनों को दौड़ाने के लिए 12 मीटर चौड़ी सड़कों का जाल बिछाने की जो अंधेरगर्दी मचा रखी थी, उस पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा कर हिमालय को गहरे तक जख्म पहुंचाने से बचाने का बड़ा उपक्रम किया है। उसने अपने द्वारा ही गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के सुझावों को मानकर सड़क के लिए अधिकतम चौड़ाई 8 मीटर रखने का आदेश दिया है।
इसमें कोलतार की सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने के आदेश दिए गए हैं। इस निर्णय के दूरगामी परिणाम भी होने तय हैं। कम से कम बड़ी परियोजनाओं के निर्माण पर सरकारों को बहुत गहराई से सोच कर निर्णय लेने को तो विवश होना ही पड़ेगा।