कलम की धार, कैमरे की नजर और हृदय की संवेदना… भूपेंद्र रावत की पत्रकारिता यात्रा

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हल्द्वानी: उत्तराखंड की शांत वादियों में बसे हल्द्वानी की पत्रकारिता भूमि ने अनेक पत्रकारों को जन्म दिया, पर उनमें भूपेंद्र रावत का नाम एक ऐसी मिसाल है, जिसने पत्रकारिता को सिर्फ पेशा नहीं, जनसेवा का माध्यम बनाया। वे उस पत्रकारिता के प्रतीक हैं, जो सत्ता से सवाल करती है, समाज से जुड़ती है और सच्चाई की रोशनी से अंधेरे कोने भी प्रकाशित करती है।

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत के रहने वाले भूपेंद्र रावत की शिक्षा हल्द्वानी में प्रारम्भ हुई, जिसकी नींव एक साधारण सरकारी स्कूल से रखी गई, लेकिन उनके सपने असाधारण थे। महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, हल्द्वानी से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय से बी. कॉम और एम.ए. (शिक्षाशास्त्र) की पढ़ाई पूरी की। लेकिन उनकी आत्मा को जिस माध्यम ने सबसे अधिक आवाज़ दी, वह थी… पत्रकारिता।

इसी लगन ने उन्हें उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से एम.ए. (पत्रकारिता) की ओर प्रेरित किया और आज वे यहीं से पीएच.डी. भी कर रहे हैं। यह शिक्षा नहीं, एक साधना है… जिसमें उन्होंने ज्ञान, अनुभव और समाज की संवेदनाओं को समर्पित किया है।

भूपेंद्र रावत ने कभी वातानुकूलित ऑफिस से पत्रकारिता नहीं सीखी। उनकी रिपोर्टिंग की शुरुआत उन गलियों और सड़कों से हुई, जहां आवाज़ें अक्सर दबा दी जाती हैं। उन्होंने जनता की समस्याओं को आवाज़ दी, अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया और कई बार उनकी खबरों के चलते प्रशासन को कठोर कार्रवाई तक करनी पड़ी। उनकी लेखनी में सिर्फ तथ्य नहीं, ताप भी होता है। वो ताप जो सच्चाई के लिए ज़रूरी है, और वो साहस जो पत्रकार को जननायक बनाता है।

एक पत्रकार का धर्म है जनता के लिए बोलना, लेकिन भूपेंद्र रावत ने इस धर्म का विस्तार अपने सहकर्मियों के हितों तक किया। बतौर जिला महामंत्री, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, नैनीताल, उन्होंने न केवल पत्रकारों की समस्याएं सरकार तक पहुंचाईं, बल्कि डिजिटल मीडिया के लिए नियमावली और पत्रकार सुरक्षा अधिनियम जैसी महत्वपूर्ण मांगों को भी मजबूती से उठाया। मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी और सूचना महानिदेशक तक को उन्होंने पत्रकार हितों के ज्ञापन सौंपे। यह किसी संगठनकर्ता का नहीं, एक सजग प्रहरी का कर्तव्यबोध है।

भूपेंद्र रावत और उनकी पत्नी दीपिका नेगी, ये जोड़ी उत्तराखंड पत्रकारिता जगत में एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखी जाती है। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा में दीपिका ने प्रथम और भूपेंद्र रावत ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। यह सिर्फ शैक्षणिक सफलता नहीं, बल्कि उस संवाद की परिणति है, जो एक विचारशील और जागरूक पत्रकार परिवार में प्रतिदिन जन्म लेता है।

भूपेंद्र रावत को उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थाओं ने सम्मानित किया है। सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी द्वारा ‘कुमाऊं सम्मान’, ’11वां आनन्द बल्लभ उप्रेती स्मृति व सम्मान’, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विश्व संवाद केंद्र द्वारा ‘श्रेष्ठ इलेक्ट्रॉनिक पत्रकार’ सम्मान, और अन्य संस्थाओं द्वारा कई बार उन्हें निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए सराहा गया है। वे इंडिया टीवी, न्यूज नेशन, न्यूज स्टेट जैसे प्रतिष्ठित टीवी चैनलों के संवाददाता हैं और पूर्व में टीवी24, साधना, एपीएन, समाचार प्लस जैसे चैनलों में भी अपनी पत्रकारिता की छाप छोड़ चुके हैं। साथ ही, वे ‘गढ़वाल की माटी’ समाचार पत्र से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार हैं।

भूपेंद्र रावत उन चुनिंदा पत्रकारों में हैं जिन्होंने निष्ठा, संघर्ष और संवेदना को पत्रकारिता की आत्मा बनाया। वे हमें यह सिखाते हैं कि पत्रकार होना केवल कैमरे के सामने बोलना नहीं, बल्कि बेआवाज़ों को आवाज़ देना है। वे हर उस युवा के लिए एक आदर्श हैं, जो कलम को हथियार और कैमरे को समाज का आईना बनाना चाहता है। भूपेंद्र रावत सिर्फ एक नाम नहीं… वे पत्रकारिता की उस मशाल का नाम हैं, जो अंधेरे में भी रास्ता दिखाती है।

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