नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आज सिलक्यारा में हादसा स्थल पर पंहुच कर जिला प्रशासन , तकनीकी विशेषज्ञों, बचाव में लगी संस्थाओं, टनल के अंदर फंसे परिवारों के सदस्यों और स्थानीय लोगों से भेंट कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि , परियोजना के निर्माण के शुरू करते समय ही एडिट टनल और एस्केप टनलों का निर्माण किया जाना चाहिए था जो नही बनाई गई। इन टनलों के द्वारा मलबा या दुर्घटना होने की स्थिति में फंसे लोगों को निकाला जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , दुनिया की कोई भी लंबी टनल बिना एडिट टनल के नही बनती है, इसलिए सरकार को साफ करना चाहिए कि 5 किलोमीटर लंबी यह टनल बिना एडिट टनल बने कैसे बन रही थी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , इस परियोजना में आपातकाल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के दूसरे विकल्प ह्यूम पाइप को भी कुछ दिन पहले निकाल दिया था। एडिट टनल या ह्यूम पाइप के न होने की स्थिति में परियोजना में काम करने वाले मजदूरों को मौत के मुंह में धकेलने का अपराध किया गया है।
यशपाल आर्य ने कहा कि मलबा टनल के शुरुआती 70 मीटर की दूरी पर ही गिरा है, लेकिन हादसे के नौ दिन बीतने के बाद अभी तक सब कुछ अनिश्चित है। बचाव कार्य के लिए जिन 6 विकल्पों की बात की जा रही है।उनकी प्रगति जमीन पर अभी नहीं के बराबर दिख रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , सरकार भले ही कितने बड़े दावे कर ले सिलक्यारा हादसे ने प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन की पोल खोल कर रख दी है।
नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि इन सभी कमियों के बाद भी वे बचाव कार्य में लगे कार्मिकों की हिम्मत और मेहनत की सराहना करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सभी फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए।