भ्रष्टाचार की नाक पर नकेल कसने के लिए हल्द्वानी सब जेल प्रशासन नई व्यवस्था शुरू करने जा रहा है। इस व्यवस्था के तहत सप्ताह भीतर सब जेल कैश लेस होने जा रही है और टोकन व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। जेल में बंद कैदी और बंदी अब कैश की जगह एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करेंगे।
मौजूदा वक्त में हल्द्वानी उप कारागार में 17 सौ से ज्यादा बंदी बंद हैं और इनके खाने-पीने की व्यवस्था जेल प्रशासन करता है। यदि बंदियों को अपनी इच्छा के अनुसार कुछ खाना है तो इसके लिए जेल के भीतर ही कैंटीन हैं। इस कैंटीन से कैदी खाने पीने की चीजें खरीदने के लिए पहले बंदियों को कैश देना होता था। ये कैश बंदियों के परिजन जेल तक पहुंचाते थे और जेल प्रशासन से पैसा बंदियों तक पहुंचाता था। ऐसे में कई बार आरोप लगे कि परिजनों जितना पैसा दिया, उतना बंदियों तक नहीं पहुंचा। जिसके बाद टोकन व्यवस्था की शुरुआत की गई। इस व्यवस्था के तहत परिजनों द्वारा दिए जाने वाले पैसों के एवज में बंदियों को टोकन मुहैया कराता था और अब जेल प्रशासन ने भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए टोकन व्यवस्था को भी बंद करने का फैसला लिया है। अगले एक सप्ताह के भीतर इस व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। जिसके बाद बंदी जेल के अंदर एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर सकेंगे।
हमने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जेल में कैश लेस व्यवस्था की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस व्यवस्था के तहत बंदी अब कैश के स्थान पर एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे न सिर्फ कैश लेन-देन खत्म होगा, बल्कि पारदर्शिता भी आएगी। हम सप्ताह भीतर इस व्यवस्था को पूरी तरह लागू कर देंगे।
सतीश चंद्र सुखीजा, जेल अधीक्षक
ऐसे इस्तेमाल होगा जेल के अंदर एटीएम
हल्द्वानी। पहले नगदी जेल प्रशासन के कर्मचारियों तक पहुंचती थी और ये नगदी कर्मचारी बंदियों तक पहुंचाते थे। इसके बाद आया टोकन और अब एटीएम कार्ड। इस नई व्यवस्था में बंदियों के परिजन बंदियों के खाते में सीधे पैसे डालेंगे। एटीएम कार्ड को इस्तेमाल करने के लिए जेल प्रशासन जेल के भीतर तीन स्वैप मशीनें लगा रहा है। बंदी इस मशीन में एटीएम कार्ड को स्वैप कर अपने मन मुताबिक चीजें खरीद सकेंगे।
ताकि टोकन में बचे पैसों का हो जाए इस्तेमाल
हल्द्वानी। जेल अधीक्षक सतीश चंद्र सुखीजा ने बताया कि जेल में कैश लेस लेन-देन के लिए एक कमरा तैयार कर दिया गया है। जिसमें स्वैप मशीनों के साथ कंप्यूटर सिस्टम भी लगाए गए हैं। इसकी शुरुआत तत्काल भी की जा सकती है, लेकिन अभी ऐसे तमाम बंदी हैं, जिनके पास टोकन बचा हुआ है। बंदियों के टोकन बेकार न हों, इसी वजह से उन्हें इसके इस्तेमाल के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया गया है।