
हल्द्वानी: उत्तराखंड की शांत वादियों में बसा एक छोटा-सा कस्बा गंगोलीहाट, पिथौरागढ़। यहां का एक साधारण लड़का एक दिन भारत की सुरक्षा एजेंसियों के इतिहास में ऐसा नाम दर्ज करवाएगा, यह शायद किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था।
नाम – लकी बिष्ट, और कहानी – किसी बॉलीवुड थ्रिलर से कम नहीं।
सोलह साल की उम्र में लिया असाधारण फैसला
जहाँ आम बच्चे स्कूल और सपनों की किताबों में खोए रहते हैं, वहीं लकी ने महज़ 16 साल की उम्र में भारतीय विशेष बलों (Special Forces) को जॉइन कर लिया। बचपन से ही उन्हें देशभक्ति का जुनून था — वही जुनून जो आगे चलकर उन्हें भारतीय सेना, NSG, असम राइफल्स और आखिरकार RAW (Research and Analysis Wing) तक ले गया।
इज़राइल में गुप्त ट्रेनिंग और ‘हिटमैन’ की उपाधि
लकी की यात्रा यहीं नहीं रुकी। उन्हें चुना गया इज़राइल की गुप्त जासूसी और स्नाइपर ट्रेनिंग के लिए — जहाँ उन्होंने ढाई साल तक कठिन से कठिन परिस्थितियों में खुद को तैयार किया।
वहां से लौटे तो अब वे एक “सोल्जर” नहीं, बल्कि एक मिशन पर निकला ‘हथियार’ थे — जिसे RAW ने प्यार से नाम दिया – #Hitman।

भारत के सर्वश्रेष्ठ NSG कमांडो बने
साल 2009, देश की सर्वोच्च सुरक्षा इकाई NSG (National Security Guard) में उनकी सेवाओं को सराहा गया। उन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ NSG कमांडो के खिताब से नवाज़ा गया।
उनकी सटीक निशानेबाज़ी, तेज़ निर्णय क्षमता और अडिग अनुशासन ने उन्हें अपने साथियों के बीच एक ‘लिविंग लीजेंड’ बना दिया।
नरेंद्र मोदी के सुरक्षा अधिकारी
लकी बिष्ट ने अपने करियर के दौरान कई VVIP सुरक्षा मिशनों में भाग लिया। उनमें सबसे प्रमुख था — तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई राजनेताओं की सुरक्षा टीम में उनकी नियुक्ति।
यह जिम्मेदारी केवल “बॉडीगार्ड” होने की नहीं थी, बल्कि देश की राजनीति और सुरक्षा के बीच खड़ी एक अदृश्य दीवार बनने की थी — जिसे कोई पार न कर सके।
RAW के लिए गुप्त मिशन
लकी बिष्ट ने RAW के साथ मिलकर कई गुप्त विदेशी ऑपरेशनों को अंजाम दिया। उनके मिशन खतरनाक थे, लेकिन उनके चेहरे पर कभी डर नहीं था।
वे जानते थे — उनका नाम नहीं लिया जाएगा, उनके काम का खुलासा नहीं होगा, लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा ही उनका पुरस्कार है।

जेल, आरोप और बेगुनाही की जीत
हर कहानी में एक मोड़ होता है।
5 सितंबर 2011, लकी पर दोहरे हत्याकांड का आरोप लगा।
तीन साल से अधिक समय तक उन्होंने जेलों में बिताए — एक मिशनमैन से एक आरोपी बन जाने का सफर बेहद दर्दनाक था। लेकिन जैसा कि कहते हैं, सत्य को देर लगती है, पर जीत उसी की होती है।
11 मार्च 2015 को उन्हें रिहा किया गया और 2018 में नैनीताल जिला अदालत ने सभी आरोपों से क्लीन चिट दे दी।
एक नई सुबह – किताब, पोटकास्ट और प्रेरणा
इस कठिन दौर के बाद लकी ने चुप रहना नहीं चुना। उन्होंने अपनी सच्ची कहानी को प्रसिद्ध लेखक एस. हुसैन जैदी के साथ साझा किया, जो किताब बनी –
“R.A.W. Hitman: The Real Story of Agent Lima”।
आज लकी अपने पोडकास्ट और युवा संवादों के ज़रिए युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं — यह बताते हुए कि देशभक्ति केवल बंदूक से नहीं, इरादों से भी लड़ी जाती है।
‘हिटमैन’ — देश का सच्चा सिपाही
लकी बिष्ट का जीवन यह सिखाता है कि “वर्दी सिर्फ शरीर पर नहीं, आत्मा पर भी होती है।”
वह सरल हैं, सौम्य हैं — लेकिन जब बात देश की आती है, तो उनके भीतर वही जुनून जलता है जो हर सच्चे सैनिक के दिल में होता है।
उत्तराखंड की मिट्टी ने इस बेटे को जन्म दिया, जिसने अपनी पूरी ज़िन्दगी मातृभूमि की रक्षा में समर्पित कर दी।
लकी बिष्ट केवल एक नाम नहीं, वो कहानी हैं जो हर युवा को यह याद दिलाती है — कि असली हीरो वे होते हैं जो पर्दे के पीछे रहकर देश को सुरक्षित रखते हैं।
