पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश के बाद मैदानी इलाकों में भू कटाव शुरू हो गया है, नदीयों का जलस्तर बढ़ने के बाद दर्जनों गांव में भू कटाव का खतरा मंडरा रहा है, कुछ जगहों में तो चेक डैम बने हुए हैं लेकिन अधिकतर ग्रामीण इलाकों में भू कटाव का दौर जारी है।
मानसून सीजन खेती के लिहाज से किसानों के लिए बरदान साबित होता है, लेकिन पिछले सालों में हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में भाखड़ा, गौला नदी के कटान से किसानों की कई एकड़ जमीन पानी में समा गई, ग्रामीणों की लाख मिन्नत के बाद भी आज तक नदी किनारे तटबन्ध नही बन पाए , जिससे एक बार फिर नदियों किनारे भारी भू कटाव की संभावना बनी हुई है…. और मानसून सीजन में ग्रामीण नदियों के विकराल रूप से डरे सहमे जिंदगी जीने को मजबूर हैं, हल्द्वानी क्षेत्र की सबसे बड़ी गौला नदी ,समेत आसपास बहने वाली नदियों में बजट के अभाव में तटबंध नहीं बन पाए हैं। जिससे दर्जनों गांव के सैकड़ो किसानों की जमीन पर बाढ़ से भू कटाव का खतरा मंडरा रहा है। हर बार मानसून सीजन में नदियों का जलस्तर बढ़ते ही कई हेक्टयर उपजाऊ जमीन नदी में समा जाती है ,ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्रीय विधायक समेत बड़े बड़े अधिकारी क्षेत्र का निरीक्षण तो करते हैं लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नही निकलता , अब वो अपनी फरियाद किससे कहें ।
भू कटाव की समस्या पर जिलाधिकारी नैनीताल ने भी माना कि नदी किनारे भू कटाव होना एक बड़ी समस्या है, उन्होंने बताया कि इस तरह के कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है ,जहां जहां पर ज्यादा दिक्कत होती हैं उन स्थानों को पहले दुरुस्त किया जाता है ,क्योंकि नदी नालों में हर बार नए नए क्षेत्र बनते हैं जहां पर भू कटाव होता है ,और इसके लिए कई योजनाओं के तहत पैसा खर्च भी किया जाता है ,लेकिन जिन स्थानों पर ज्यादा दिक्कतें होती हैं उन जगहों को चिन्हित कर समस्या का समाधान किया जाता है ।
नदी किनारे किसानों की जमीन कटने से हर साल किसानों को लाखों का नुकसान होता है, फसल तबाह वो अलग, भाखड़ा नदी से तो दर्जनों गांव प्रभावित हो रहे हैं जहां लगातार भू कटाव हो रहा है, बारिश लगातार जारी है ऐसे में किसानों के आगे एक बार फिर भू कटाव की समस्या आ खड़ी हुई है लेकिन समाधान होना मुश्किल है।