
हल्द्वानी: एमबीपीजी कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ. सन्तोष मिश्र ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि अंगदान एवं देहदान करने वालों को 15 अगस्त, 26 जनवरी और राज्य स्थापना दिवस जैसे अवसरों पर सम्मानित किया जाए तथा उनके गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उनका कहना है कि जिन राज्यों ने यह पहल की है, वहां अंगदान और प्रत्यारोपण में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार, भारत कुल अंग प्रत्यारोपण के मामले में दुनिया में तीसरे और जीवित दाता अंग प्रत्यारोपण में पहले स्थान पर है। मृतक दाताओं में तमिलनाडु (268) शीर्ष पर है, इसके बाद तेलंगाना (188), महाराष्ट्र (172), कर्नाटक (162) और गुजरात (119) का स्थान है। हालांकि, भारत में अंगदान की दर अभी भी प्रति दस लाख जनसंख्या पर 1 से कम है, जबकि स्पेन में यह 48 है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संचालित NOTTO ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अंगदान को बढ़ावा देने के लिए दस सूत्री परामर्श जारी किया है, जिनमें मृतक दाताओं का सार्वजनिक सम्मान, उनके परिवार को प्राथमिकता लाभ, महिलाओं को प्रतीक्षा सूची में अतिरिक्त अंक, ट्रॉमा केंद्रों में अंग-उपलब्धता की व्यवस्था, आपातकालीन कर्मियों का प्रशिक्षण, राज्य स्तर पर ब्रांड एम्बेसडर की नियुक्ति, स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा, डेटा रिपोर्टिंग की अनिवार्यता और प्रत्यारोपण समन्वयकों के स्थायी पद सृजन शामिल हैं।
डॉ. मिश्र स्वयं और अपने पूरे परिवार के साथ अंगदान व देहदान का संकल्प ले चुके हैं और लंबे समय से रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान व देहदान के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

