अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री महोदय को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी के माध्यम से भेजा गया। जिसमें आवारा गाय बैलों से किसानों और आम जनता को राहत प्रदान करने के लिए उनकी व्यवस्था करने, गोवंश संरक्षण कानून 2007 को निरस्त करने या गोवंश की कीमत निर्धारित कर सरकारी खरीद सुनिश्चित करने की मांग उठाई गई। ज्ञापन की प्रतिलिपि विधानसभा में उठाने के लिए विधायक हल्द्वानी को भी भेजी गई।
इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि, सरकार प्राथमिकता के आधार पर उत्तराखण्ड राज्य के किसानों, पशुपालकों और आमजन के हितों को सर्वोपरि मानते हुए इस एजेंडे को पांचवीं विधानसभा के गैरसैंण में चलने वाले सत्र में सम्मिलित करने करने और समाधान करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि, उत्तराखण्ड के किसानों की पुश्तों से चले आ रहे आजीविका का साधन पशुपालन और कृषि को बचाने के लिए गोरक्षा कानून को निरस्त करवाया जाय या गोवंश की लैंणी (ताजा ब्यात दुधारू गाय), बाखड़ी (ब्यात के तीन-चार माह बाद वाली दुधारू गाय), बैली (दूध नहीं देने वाली गाय), बैल, बछड़ा, बछिया की कीमत निर्धारित कर सरकारी खरीद की गारंटी करने का प्रस्ताव पारित कर किसानों की फसल और पशुपालन का लाभ पशुपालकों को दिलाने के लिए किसानों के हित में नीति बनायी जाय ।
ताकि पशुपालक के लिए गोवंश बोझ, किसानों के लिए गोवंश बर्बादी का सबब, सड़कों पर गोवंश दुर्घटनाओं का कारण और आमजन का हत्यारा गोवंश न बनने पाए और वर्तमान में गोवंश की हो रही दुर्दशा से भी गोवंश को बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि, उत्तराखंड के पशुपालन को रोजगारपरक बनाने के लिए गोवंश संरक्षण कानून 2007 को निरस्त करने या गोवंश की कीमत निर्धारित कर सरकारी खरीद सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया जाना आज उत्तराखंड के किसानों और आम जनता की जरूरत है। अन्यथा की स्थिति में अखिल भारतीय किसान महासभा को यहाँ की जनता के हित में व्यापक जनांदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा।
ज्ञापन देने वालों में किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी, भाकपा माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय, एडवोकेट अंजू राज, एडवोकेट संजय बघरवाल, मोहन लाल आर्य आदि शामिल थे।