देहरादून। उत्तराखंड के नगर निगम, नगर पालिका एवं नगर पंचायतों की हाउस टैक्स निर्धारण प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव होने जा रहे हैं। केंद्र सरकार की शर्तों के अनुसार शहरी विकास विभाग हाउस टैक्स को अब सर्किल रेट से जोड़ने जा रहा है। इससे जहां हाउस टैक्स की दरों में वृद्धि होगी, वहीं अब हाउस टैक्स हर साल बढ़ा करेेगा।
बता दें कि उत्तराखंड में हाउस टैक्स वसूलने के लिए रेंटल प्रणाली लागू है। नगर निगम/नगर पालिकायें वार्डवार सुविधाओं के लिहाज से हाउस टैक्स की दरें तय करते हैं। इन दरों पर लोग भवन के कारपेट एरिया के अनुसार टैक्स का भुगतान करते हैं। लेकिन, अब केंद्रीय वित्त आयोग ने इसकी बजाय सर्किल रेट को हाउस टैक्स निर्धारण का आधार बनाने पर जोर दिया है।
विदित हो कि नगर निकाय स्तर पर तय वार्डवार दरें, सर्किल रेट से काफी कम हैं, इस कारण लोगों को हाउस टैक्स कम देना पड़ता है। दूसरी तरफ, हाउस टैक्स एक बार में 4 साल के लिए तय होता है। अब हाउस टैक्स सर्किल रेट से जुड़ने पर न केवल टैक्स की दरें बढ़ जाएंगी, बल्कि भविष्य में भी हर साल सर्किल रेट बढ़ने पर हाउस टैक्स स्वतः ही बढ़ जाएगा।
बता दें कि सर्किल रेट का निर्धारण जिला प्रशासन करता है, इस तरह हाउस टैक्स निर्धारण में निकायों के निर्वाचित बोर्ड की भूमिका भी सीमित हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार, शहरी विकास निदेशालय ने नई व्यवस्था के तहत टैक्स प्रणाली में बदलाव का प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया है। यह बदलाव एक साथ उत्तराखंड के सभी 91 नगर निकायों पर लागू हो जायेगा।
15वें वित्त आयोग ने निकायों के लिए हाउस टैक्स को जिले की जीडीपी के समान करने की शर्त रखी है।
इस पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शहरी विकास विभाग से कहा है कि यदि निकायों ने टैक्स सुधार नहीं किए तो वित्त वर्ष 2021-22 में निकायों को केंद्रीय सहायता नहीं मिल पाएगी। इस तरह प्रमुख विकास कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता पर निर्भर उत्तराखंड के पास दूसरा विकल्प नहीं बचा था।
सचिव शहरी विकास ने बताया कि वित्त आयोग ने हाउस टैक्स प्रणाली में जरूरी सुधार को कहा है। निदेशालय से प्रस्ताव मिल गया है। इस पर विचार विमर्श किया जा रहा है। अब उच्च स्तर से अंतिम निर्णय लिया जाना है।