पिछले पांच दिनों से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, हरियाणा में अतिवृष्टि, भू- धंसाव और बाढ़ से तबाही व जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माले केंद्र सरकार से इन चार राज्यों में आई विपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करती है। भाकपा माले ने इस तबाही व नुकसान से उबरने के लिए सम्बंधित राज्यों को तत्काल राहत पैकेज जारी करने की मांग की है।
भाकपा माले इस तबाही की तीव्रता में कई गुना इज़ाफा करने के लिए उत्तराखण्ड व हिमाचल में चल रही प्रकृति विरोधी-कारपोरेट परस्त विकास नीति को जिम्मेदार मानती है। हिमाचल में भी उत्तराखण्ड की तरह ही जल विद्युत परियोजनाओं, सड़कों के चौड़ीकरण के जरिये बड़े पैमाने पर पहाड़ों को काटा गया तथा उसका मलवा नदियों में फेंका गया है। इसके साथ ही इस कारपोरेट भूख को मिटाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों को भी काटा गया है।
पहाड़ों में बड़े पैमाने पर हुआ भू-धसाव व अनियंत्रित बाढ़ पहाड़ों के कटान व नदियों में गिराए गए इसी मलवे का नतीजा है। इससे पंजाब हरियाणा की नदियों के तल में मलवा भरने के कारण पानी ज्यादा फैल गया है। यही कारण है कि पंजाब व हरियाणा को भी बाढ़ से भारी क्षति हुई है। बाढ़ व अतिवृष्टि से इन चारों राज्यों के किसानों की फसलें भी बड़े पैमाने पर तबाह हो गई हैं।
भाकपा माले उत्तराखण्ड, हिमाचल सहित सभी पर्वतीय क्षेत्रों की विकास योजनाओं में प्रकृति व पर्यावरण के साथ संतुलन बनाने की वकालत करते हुए वर्तमान स्वीकृत योजनाओं की पुनः समीक्षा करने की भी मांग करती है।